बाली अन्न और फरसा वीरता का प्रतीक

गाजीपुर। भांवरकोल ब्लॉक मुख्यालय स्थित सहरमाडीह स्थित त्रिलोचन किनवार कीर्ति स्तंभ का तीसरा स्थापना दिवस मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर कुलदेवी की प्रार्थना एवं पूजन वैदिक मंत्रोचार के बीच हवन -पूजन के साथ किया गया।इसके बाद सभी कश्यप गोत्रीय भू- ब्राह्मणों का सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में बोलते हुए किनवार समाज के संरक्षक इं. अरविंद राय ने कहा कि किनवार वंश का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। जो समाज अपना इतिहास भूगोल भूल जाता है,वह स्वतः समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कीर्ति स्तंभ में बाली अन्न का प्रतीक है और फरसा वीरता का प्रतीक है।ब्राह्मण वही है जो समाज को किसान के रूप में अन्न, विद्वता और आवश्यकता पड़ने पर शस्त्र भी उठा सके।उन्होंने कहा कि किनवार कीर्तिस्तम्भ से सभी लोगो को जोड़ा जाएगा और इस वंश का कल्याण किस प्रकार हो सके जिसके लिए सार्थक प्रयास किया जाएगा । कहा कि यह समाज एकजुट होकर गरीबों असहायों की हरसंभव मदद करेगा। कहा कि त्रिलोचन दीक्षित गढ़वाल वंश के नवरत्नों में से एक थे । इतिहास गवाह है कि काशी के दशाश्वमेध घाट पर जो अश्वमेघ यज्ञ हुआ था उसके मुख्य पुरोहित थे।उन्ही के वंशज मूल्हन दीक्षित ने हेमचंद को हराया था। जिसके बाद उन्हें सात सौ गांव मिले।इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष सन्तोष राय ने कहा कि समाज के सक्षम लोग अपनी जिम्मेदारी उठाएं। जिससे समाज के कमजोर लोगों की मदद संभव हो सके। इस मौके पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों संरक्षक अरविन्द राय एवं अध्यक्ष सन्तोष राय ने अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।।इस अवसर पर डॉ राजेन्द्र राय द्वारा लिखित पुस्तक विचार बंध का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार डॉ रामबदन राय और इंजीनियर अरविंद राय के हाथों किया गया। ज्ञात हो कि कीर्ति स्तंभ किनवार वंश की नींव डालने वाले त्रिलोचन दीक्षित की स्मृति में बना है।इतिहास के अनुसार कर्नाटक के ब्राह्मण वंशीय अमोघ दीक्षित के पुत्र त्रिलोचन दीक्षित की इच्छा उत्तर भारत में बसने की हुई।अपने पिता से आज्ञा लेकर वे इस सहरमाडीह में बसे जहाँ से कश्यप गोत्रीय किनवार वंश की नींव पड़ी इन्ही के वंशज बलिया, बिहार प्रांत तथा जनपद आजमगढ़ में बसे हैं। इतिहास के अनुसार गहरवार वंश के राजा जयचंद की पुत्री का विवाह इसी वंश में हुआ और उन्होंने इस वंश को 750 गांव देकर राजा की उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम की अध्यक्षता किनवार समाज के अध्यक्ष सन्तोष राय गुड्डू एवं संचालन डॉ व्यासमुनी राय ने किया ।आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित दिया।इस मौके पर साहित्यकार रामबदन राय, राजेंद्र राय, शारदानंद राय लुटूर राय,अनिल राय मुन्ना ,रविन्द्र नाथ राय, विजयशंकर राय, डा0 राजेंद्र राय, हिमांशु राय,कवि दिनेश राय, रामजी राय,कमलेश शर्मा, पंकज राय, अखंड राय आदि मौजूद रहे।

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