गाजीपुर। पहले सुनाई कहानी और उसके बाद सजा। कहानी भी किसी ऐसे वैसे की नहीं बल्कि बड़े साहित्यकार की। सजा भी किसी ऐरे गैरे को नहीं बल्कि गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी और उनके भाई माफिया डान मुख्तार अंसारी को।सजा की अवधि इतनी है कि अब अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता का छिन जाना निश्चित है। जमानत पर चल रहे सांसद अपनी पूरी तैयारी से फैसला सुनने पहुंचे थे।उन्हें आशंका थी कि फैसला मेरे खिलाफ भी जा सकता है।
लंबे समय तक चले विचारण के बाद शनिवार को गिरोहबंद अधिनियम में दोनों भाइयों को विशेष न्यायाधीश (एमपी, एमएलए)दुर्गेश पांडेय ने दोषी ठहराया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल से मुख्तार अंसारी की पेशी हुई।न्यायालय ने पहले उन्हें दस वर्ष के कारावास और पांच लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। न्यायालय के लंच के बाद सांसद अफजाल अंसारी के मामले में फैसला सुनाया।फैसला सुनाने से पहले विद्वान न्यायाधीश ने कहानी सुनाई।जिसका सार यह था कि एक भाई अपराध करता है और दूसरा भाई न केवल उसका अपराध छिपाता है बल्कि उसे संरक्षण भी देता है।न्यायालय ने सांसद को चार वर्ष के कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। न्यायालय कक्ष में मामले से जुड़े लोगों को ही रहने दिया गया। अन्य लोगों को वहां जाने से रोक दिया गया था।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार फैसला सुनने के लिए अफजाल अंसारी पूरी तैयारी से आए थे। वह एक बैग लेकर पहुंचे थे, जिसमें उनके जरूरी कपड़े और दवाएं थीं।फैसला सुनते वक्त वह अत्यंत गंभीर थे और चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। न्यायालय परिसर और उसके बाहर भी लोगों की काफी भीड़ थी। इस मामले में 15अप्रैल को फैसला आने वाला था,लेकिन उस दिन न्यायाधीश अवकाश पर थे।तब फैसले के लिए यह दूसरी तारीख थी। इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव यह होगा कि सांसद का पद छिन जाएगा।अभी लोकसभा के आम चुनाव में लगभग एक वर्ष का समय शेष है, जिससे रिक्त होने वाली गाजीपुर सीट पर उपचुनाव के कयास लगाए जा रहे हैं।अफजाल अंसारी बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। बसपा अधिकांश उप चुनाव नहीं लड़ती है।यदि उपचुनाव हुआ तो इसमें संभावित उम्मीदवारों को लेकर भी कयास लगने शुरू हो गए हैं।
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