पसमांदा समाज के उत्थान पर मंथन

गाजीपुर। पसमांदा पहल पत्रिका परिवार के तरफ से आयोजित गोष्ठी “पिछड़ा पिछड़ा एक समान, चाहे हिंदू हो चाहे मुसलमान” का आयोजन एम. ए.एच.इंटर कॉलेज में रविवार को किया गया।
गोष्ठी का आरंभ पसमांदा पहल में कंवल भारती के छपे लेख के पाठन से प्रारंभ हुआ।
सर्वप्रथम सुद्धन राव साहनी ने डाक्टर इकबाल अंसारी के गीत –
‘खाली किसी का न दामन होगा।
घर अपना-अपना आंगन होगा।’ को प्रस्तुत किया।
समकालीन सोच के संपादक रामनगीना कुशवाहा ने कहा कि सामाजिक जाति की संरचना झुठाई है। मानव जाति सच्चाई है। आज भी धनी जातियों के पिछड़े लोग अपनी शादी विवाह में अमीरी गरीबी के बारे में जरूर समझ रखते हुए परहेज करते है।

  रिटायर्ड इंस्पेक्टर समाजवादी, मानववादी चिंतक चंद्रदेव यादव ने कहा कि विश्व में अनेकों देश जैसे यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका ऐसे रहे जहां काले गोरों का भेद मानव निर्मित है। लेकिन भारत में जातिगत भेद तो ईश्वर निर्मित है। यहां पर जातिवार जनगणना बहुत ही जरूरी है और जनगणना के आधार पर ही आरक्षण हो जाय तो दलित समाज का भला हो सकता है।

युवा साहित्यकार मनोज कुमार यादव ने कहा कि दलित पिछड़े के प्रति समाज को अपने दृष्टिकोण को परिवर्तित करने के लिए इन्हें शिक्षित होना अति आवश्यक है जिससे ये अपने अधिकार व कर्तव्य को समझते हुए अग्रसर हो सकें।
पिछड़ा वर्ग हुंकार पत्रिका के संपादक एडवोकेट रामानंद गौतम ने बताया कि सवर्ण की बात करने में हमारा ओबीसी भी समाहित है क्योंकि ओबीसी के लोग आज भी अपने को होने वाली जनगणना में अपने को अछूत जातियों से उपर रखते है यानी सवर्ण होना चाहते हैं।
शहादत हसन मंटो ने कहा कि सारे लोगो ने एक ही बात कही कि आज पसमांदा समाज के लोग संपूर्ण भारतीय महाद्वीप अर्धसमंत शाही स्वरूप रखता है जहां आर्थिक उत्थान के बाद भी पिछड़ी जातियों के सोच में शरीफ और रजील लोग आज भी मौजूद हैं। आज अभिजात्य वर्ग हम सभी पर हावी भी हैं। अपना एरोगेंस समाप्त कर एक होने की जरूरत है। आज हमें डा.अंबेडकर एवं भगत सिंह को पूजना नहीं इनका वारिस बनना है।
बुद्ध, अशोक, अंबेडकर, मार्क्स, लेनिन विचार मंच के जयराम कुशवाहा कवि जी ने कहा कि आज देश में मनुवाद और पूंजीवाद ही बहुत बड़ी समस्या है।आज सभी इससे प्रभावित हैं। आज हमें कबीर, गौतम बुद्ध को ही अपनाने की जरूरत है। हमें सकारात्मक सोच रखते हुए अपनी बड़ी लकीर खींचने की जरूरत है। आज हमें राजनीति को छोड़कर कई ज्वलंत सामाजिक बिंदुओं पर बात करने की जरूरत है।
चंदौली (मुगलसराय) से पधारे पसमादा मुस्लिम मोर्चा उत्तर प्रदेश के रफीक अंसारी ने कहा कि पसमांदा शब्द के जन्मदाता अली अनवर की सोच है कि जो समाज से पिछड़ गए आज वही पसमांदा है जो हिंदू, मुस्लिम दोनो समाज में मौजूद हैं तो आज हमें हिंदू मुस्लिम सभी पसमांदा को समवेत रूप में लेकर चलने की जरूरत है।
मुमताज अंसारी ने कहा कि पसमांदा समाज मुसलमानों में एक बहुत बड़ी आबादी काफी शोषण का शिकार होकर पीछे छूट गई। दलित हिंदू और समस्त पिछड़े वर्ग के जातियों के अधिकार , आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक चेतना को युवा वर्ग में जागृत करने की जरूरत है।

पसमांदा मुस्लिम मोर्चा के जिला अध्यक्ष फैयाज अहमद ने कहा कि अब हमें अपने समाज को शिक्षित और संगठित करने की जरूरत है।
जिला पसमांदा महिला मोर्चा की अध्यक्ष शाहीन ने कहा कि महिलाओं में भी हमे जाकर कुरीतियों से अवगत कराना है जिससे हमारे समाज की बुनियाद और नसलें ठीक हो सकें।
इस अवसर पर जमील इदरीशी का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन पसमांदा समाज की विख्यात और महत्वपूर्ण पत्रिका “बहुजन पसमांदा पहल” के संपादक डाक्टर इकबाल अंसारी ने किया। गोष्ठी के इस अवसर पर पसमांदा मुस्लिम महाज जनपद ग़ाज़ीपुर के महासचिव पद के लिए शहादत हसन मंटो जी को नामित किया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान डॉ0 राधेश्याम केसरी, उमेश कुमार, सुधीर भारती, मनोज कुमार, मो0 फारूक गौरिया, जब्बार अंसारी, डॉ0 सर्वेश कुमार सक्सेना, राधेश्याम कुशवाहा, रविन्द्र नाथ राम, जाकिर हुसैन, डॉ0 महेंद्र कुशवाहा, धर्मचंद्र यादव आदि लोग मौजूद थे।

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