गाजीपुर । जिलाधिकारी आर्यका अखौरी की अध्यक्षता में जनपद में नमामि गंगे परियोजना अन्तर्गत जैविक खेती योजना/ यू0पी डास्प अन्तर्गत शासी समिति की बैठक कलेक्ट्रेट कार्यालय कक्ष में हुई। बैठक में बताया गया कि यू0पी0डास्प गाजीपुर में संचालित नमामि गंगे योजनान्तर्गत चयनित 5 विकास खण्डों में 102 कलस्टर का गठन कर 3638 कृषकों का चयन कर 2040 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती की जा रही हैं। योजना के प्रथम वर्ष में कृषकों को जैविक खेती हेतु प्रमाणीकरण संस्था द्वारा 3638 कृषकों को पी०जी०एस० ग्रीन प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है, साथ ही जैविक खेती में किये गये कार्यों व निवेश का प्रोत्साहन धनराशि भुगतान कर दिया गया है। द्वितीय वर्ष एवं तृतीय वर्ष के खरीफ के कार्यों एवं निवेश का प्रोत्साहन धनराशि मुख्यालय से बजट प्राप्त नहीं होने के कारण अवशेष है। तृतीय वर्ष में खरीफ फसलों की जैविक खेती के मापदण्डों को अपनाते हुए सम्पन्न कर लिया गया तथा वर्तमान में रवी फसलों की बुवाई लगभग 90 प्रतिशत तक पूर्ण कर लिया गया है। जैविक उत्पादों में कृषकों द्वारा उत्पादित सरप्लस उत्पाद के विपणन हेतु स्थान/बाजार उपलब्ध न होने के कारण सामान्य रासायनिक उत्पाद से अधिक मूल्य नहीं मिल पा रहा है जिससे कृषकों में अपेक्षित आय में वृद्धि नहीं हो पा रही है । बताया गया कि जनपद में 4 एफ०पी०ओ० का गठन कर चरणबद्ध कार्य किया जा रहा क्षेत्र में चयनित कृषकों से वार्ता करने पर उनके द्वारा बताया गया कि जैविक निवेश की प्रोत्साहन धनराशि भुगतान नहीं होने के कारण किसान हतोत्साहित हैं।
बैठक में जिलाधिकारी ने गठित एफ पी ओ को विभिन्न पोर्टल पर अपने व्यवसायिक कार्ययोजना को प्रचारित-प्रसारित करने के निर्देश दिये। उन्होने जिला परियोजना समन्वयक को निर्देशित किया कि अपनी टीम के साथ मण्डी सचिव, जिला उद्यान अधिकारी, वन विभाग, कृषि विभाग से समन्वय स्थापित कर कुछ पारम्परिक उत्पादों (महुआ, रागी, बाजरा को अपने कार्यक्रम में सम्मिलित करें। सभी एफ पी ओ अपने नाम से अपने उत्पाद को विक्रय करें परन्तु जिले का एक ब्रांड नेम होना चाहिये। जिस पर जिलाधिकारी ने ब्रान्ड नेम जम्दग्नि जैविक उत्पाद, गाजीपुर के नाम सहमति व्यक्त किया। जिस पर यूपीडास्प जैविक प्रमाणीकरण का लोगो होना आवश्यक है।
उन्होने जैविक उत्पादों के विक्रय/प्रचार प्रसार हेतु वन विभाग से सम्पर्क कर प्रचार प्रसार केन्द्र जिला परियोजना समन्वयक को निर्देशित किया। जिलाधिकारी ने शहर की मण्डी में जैविक उत्पादों के बिक्री हेतु एक स्थान सुरक्षित करने हेतु मण्डी सचिव को निर्देशित किया। जैविक खेती से जुड़े कृषकों के भुगतान हेतु उनके भू-भाग एवं निवेश से सम्बन्धित प्रोत्साहन राशि के भुगतान हेतु राजस्व विभाग एवं विकासखण्ड अधिकारियों के माध्यम से कराने हेतु जिला परियोजना समन्वयक को निर्देशित किया ।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता , उप निदेशक कृषि , जिला कृषि अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, कृषि विज्ञान केन्द्र आंकुसपुर के वैज्ञानिक, मण्डी सचिव, सपोर्ट एजेंसी के परियोजना प्रभारी, प्रमाणीकरण संस्था के प्रभारी रामनन्द यादव उपस्थित थे।
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