विचारों के रहे विरोधी, जीवन जीया गांधीवादी शहीदपुत्र जितेंद्र नाथ राय घोष के निधन पर हुई शोक सभा

गाजीपुरः घोष जी ने अपना पूरा जीवन शहीदाने अंदाज में जिया।उनका मानना था कि1947 में तो केवल अंग्रेजी राज से मुक्ति मिली थी।अभी भी आमजन को शोषण से आजादी दिलाने के लिए समाजवादी समाज का निर्माण करना होगा। समकालीन सोच परिवार की ओर से शनिवार की शाम गौतम बुद्ध कालोनी स्थित डा.पीएन सिंह के आवास पर शहीद पुत्र जितेंद्र नाथ राय घोष के निधन पर हुई शोकसभा में उक्त बातें रामनगीना कुशवाहा ने कहीं।
श्री कुशवाहा ने कहा कि अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए घोष जी ने अपना संपूर्ण जीवन आहुत कर दिया।कांग्रेस नेता अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि उनके सिध्दांत और व्यवहार में साम्य रहा।वह अपनी सोच के प्रति इतने अडिग थे कि मुझे उनसे संबंध बनाने में संकोच हुआ था।उनके जैसा व्यवहार में जीने वाला क्रांतिकारी विरल होते हैं।सीपीआई के रामबदन सिंह ने कहा कि वे एक अनुपम रैडिकल मार्क्सवादी थे।जो कहते रहे वही जीवन जिया।राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि घोष जी के समाजवादी समाज के निर्माण की परिकल्पना मुझे उनके नजदीक लाई।वह प्रेरक थे और युवाओं को प्रेरित करते रहते थे।डा.बालेश्वर विक्रम ने कहा कि घोष जी सत्ता के प्रतिरोध के प्रतीक थे।उनके जैसा अदम्य साहसी व्यक्ति मैंने अपने जीवन में नहीं देखा।उनके जाने से गाजीपुर के प्रतिरोध की ताकतों को बड़ा झटका लगा है।कन्हई राम प्रजापति ने कहा कि हालांकि वे गांधी के सिध्दांतों के घोर विरोधी थे, फिर भी व्यवहार में कट्टर गांधीवादी थे।उनकी कथनी करनी में कोई अंतर नहीं था।


डा.बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि घोष जी डा.पीएन सिंह में आए वैचारिक बदलावों के घोर विरोधी थे।वे अक्सर कहा करते थे कि पीएन सिंह की शिष्यता से काम नहीं चलेगा।अब पीएन सिंह क्रांतिकारी बदलाव के संदर्भ में अप्रासंगिक हो चुके हैं।जबकि पीएन सिंह का मानना है कि अब पहले जैसी गरीबी नही है।मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ है, इसलिए लोकतंत्र का विकल्प नहीं दिखता ।फिर भी पीएन सिंह घोष जी को एक जीवट का व्यक्ति मानते हैं।वह कहते हैं घोष जी जैसा क्रांतिकारी मुझे आकर्षित करता है।पूर्व प्राचार्य डा.अशोक सिंह ने कहा कि हमने घोष जी को कभी उदास निराश नहीं देखा।
अध्यक्षता कर रहे धर्मनारायण मिश्रा ने कहा कि घोष जी एसयूसीआई के कट्टर समर्थक थे।उनका कहना था कि भारतीय समाज को अग्रगामी बनाने के लिए मार्क्स, लेनिन, स्टालिन, माओत्से तुंग, हो ची मिन्ह और शिवदास घोष के विचारों की आवश्यकता है।इनके विचारों के आलोक के बगैर समाजवादी क्रांति संभव नहीं होगी।जब तक समाजवादी समाज नहीं बनेगा तब तक किसी भी समाज के सड़न को रोका नहीं जा सकता।शोकसभा में महेंद्र यादव, संतोष यादव, सलमान सईद,डा.संतोष कुमार सिंह, प्रमोद कुमार राय आदि मौजूद रहे।संचालन इरफान अली ने किया।

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