सेनानी,स्वाभिमानी शायर थे फिराक

गाजीपुर।अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में स्वाधीनता आंदोलन के योद्धा,मजबूत सेनानी एवं उर्दू की दुनिया के अजीम शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी जी की जयंती पर सोमवार को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सदर ब्लाक अन्तर्गत नुरपुर कैथवलियां गांव में स्थित महासभा के सदर ब्लाक के अध्यक्ष ए. के .सिन्हा उर्फ विपुल जी के आवास पर विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी आरंभ होने के पूर्व महासभा के सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलकर देश की आज़ादी की रक्षा करने का संकल्प लिया।
इस गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि फिराक गोरखपुरी केवल विख्यात शायर ही नहीं बल्कि वह आजादी की लड़ाई के महान योद्धा थे। उनके अंदर देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी थी। उनके अंदर देश को आजाद कराने का जुनून इस कदर था कि वह डिप्टी कलेक्टर के पद को ठुकराकर गांधी के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े जिसकी वजह से उन्हें डेढ़ साल की जेल की सजा भी हुई। यही देशभक्ति की भावना उनके साहित्य में भी दृष्टिगोचर होती है। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज को जागृत करने का भी काम किया।
इस गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बालेश्वर विक्रम ने उन्हें एक युग निर्माता शायर और समालोचक बताया। उन्होंने कहा कि वह एक सच्चे भारतीय थे और उतने ही स्वाभिमानी। नेहरू जी उनके अजीज मित्र थे। वह‌ इंदिरा जी को बेटी कहकर बुलाते थे। आर्थिक तंगी होने के बावजूद भी उन्होंने नेहरू जी जैसे मित्रों से मदद न लेकर अपने मकान को बेचकर अपने पिताजी द्वारा छोड़े गए कर्ज, अपने छोटे भाइयों को तालीम और बहनों की शादियों के अलावा अपनी और जरूरतों को पूरा किया। आज पूरा देश उन्हें बहुत ही शिद्दत के साथ याद कर रहा है।
फिराक साहब की शायरी में जो प्रतिध्वनियां और गूंज हमें सुनाई देती है उनमें एक अद्वितीय सुहावनापन है,भारत के धरती की सुगंध हैं और भारतीय संस्कृति का मातृत्व स्पर्श है।आज भी उनकी शायरी से पूरी दुनिया महक रही है।
इस अवसर पर इस कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विचार गोष्ठी के उपरांत काव्य गोष्ठी में अपनी रचनाओं के माध्यम से देश में लगातार बढ़ रही धार्मिक कट्टरता, बदलती इंसानी फितरत और समाज की कुरीतियों और कुप्रथाओं तथा राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों के गिरती नैतिकता पर तंज कसते हुए कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भी फिराक साहब को नमन किया।
युवा कवि गोपाल गौरव‌ ने अपनी रचना “कहीं मस्जिद कहीं शिवाला‌ है,
फिर भी नहीं उजाला है”से
देश में बढ़ रहे धार्मिक कट्टरता एवं सम्प्रदायिकता पर कटाक्ष किया।
कवि कामेश्वर द्विवेदी ने अपनी रचना “गगन के चारु चाँद तारे दीप्त अंशुमान,
वन गिरि सरिताएँ गाते यशोगान हैं।
वेदकी ऋचाओं की पवित्र ध्वनि जहाँ,
वह
शोभनीय परम अनूप हिंदुस्तान है”
से अपने भारत देश की‌ विशिष्टताओं का बखूबी बखान किया।”
कवि हरिशंकर पांडे ने हर घर मे मोबाइल फोन से पड़ रहे दुष्प्रभाव पर तंज कसते हुए अपनी रचना “
रोटियां बनी कहिया हो,
होत भिनसरवा घनघनाएले मोबाइल
काम-धाम छोड़िके तो धीयवा पराईल
दूधवा फफाए चाहे जरे तरकरिया
रोटिया बनी कहिया हो” से दर्शकों की तालियां बटोरी।
युवा कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी व्यंग्य रचना”सुनी ला कि बाबू अमीर हो गइलें” से आजकल बदल रहे इंसानों का फितरत पर कटाक्ष किया।
कवि हरिशंकर पांडे जी ने अपनी रचना
“संवाद नहीं होगा,
फरियाद नहीं होगा,
बातें बढ़ जाने पर,
कुछ लाभ नहीं होगा।
मन में कुछ गांठें हैं,
हर एक के ही दिल में,
सुलझा लें गांठों को ,
सबके हित में यह अच्छा होगा”से श्रोताओं को सोचने को मजबूर किया।
इनके साथ साथ अनन्तदेव‌ पांडे,विजय कुमार मधुरेश और दिनेश शर्मा ने भी अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से समां बांधने का काम किया।
इस अवसर पर सेन्ट्रल बार संघ कासिमाबाद के अध्यक्ष अजय कुमार श्रीवास्तव, सेन्ट्रल बार संघ गाजीपुर के महामंत्री राजेश कुमार श्रीवास्तव,प्रेम कुमार श्रीवास्तव,परमानन्द श्रीवास्तव, चन्द्रप्रकाश श्रीवास्तव,अमर सिंह राठौर,मोहनलाल श्रीवास्तव,विजय प्रकाश श्रीवास्तव,अजय कुमार श्रीवास्तव, अरुण कुमार सिन्हा, शिवप्रकाश लाल,गौरव श्रीवास्तव, विपिन बिहारी वर्मा, धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, नवीन कुमार श्रीवास्तव, अश्वनी श्रीवास्तव “दीपक”, मोहनलाल श्रीवास्तव, अमरनाथ श्रीवास्तव,संजय कुमार श्रीवास्तव, विनीत कुमार श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।इस गोष्ठी की अध्यक्षता महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव एवं संचालन जिला महामंत्री अरूण सहाय ने किया।‌
इस कार्यक्रम के संयोजक अतुल कुमार सिन्हा ने इस अवसर पर आयें सभी वक्ताओं एवं कवियों को माल्यार्पण कर एवं अंगम् वस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित करते हुए सभी के प्रति आभार जताया।

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