परिवर्तन सकारात्मक, नकारात्मक दोनों

गाजीपुर। पी०जी० कालेज में पूर्व शोध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई। जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र/ छात्राएं उपस्थित रहे। संगोष्ठी में समाजशास्त्र विषय की शोधार्थिनी कंचन शिवम ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक “ग्रामीण हिंदू सामाजिक संस्थाओं के बदलते प्रतिमान” नामक विषय पर शोध प्रबंध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत की जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। गांव हमारे लोक जीवन के समग्र पहलूओं जैसे सामाजिक ,आर्थिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों एवं परंपराओं को अपने में समेटे हुए है, ग्रामीण समाज में संयुक्त परिवार, विवाह, नातेदारी, धर्म, शिक्षा तथा जजमानी आदि प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं। इसके अंतर्गत कानून, सविधि, नियम, अधिनियम, रिवाज, लोकाचार, लोकरीतियां, निषेध, फैशन, संस्कार, धार्मिक क्रियाएं एवं उत्सव, परंपराएं, शिष्टाचार है जो हमारे जनरीतियो, रुढियों एवं प्रथा में निहित हैं। वर्तमान में सामाजिक संस्थाओं के प्रतिमान बदल रहे हैं जिनका योगदान मनुष्य को सामाजिक बनाने, सामाजिक संगठन को स्थायित्व प्रदान करने समाज को नियंत्रित करने समाज के एकीकरण और एकरूपता प्रदान करने, सामाजिक आदर्श एवं सामाजिक परंपराओं की रक्षा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वर्तमान युग में इन सभी सामाजिक संस्था में गहन परिवर्तन परिलक्षित हो रहे हैं।
औद्योगिकरण, नगरीकरण तथा यातायात एवं संचार के साधनों के विकास से सामाजिक संस्थाओं के प्रतिमानों में परिवर्तन तीव्र गति से होता दिख रहा है।
सामाजिक संस्था में हो रहे परिवर्तन कुछ सकारात्मक भी हैं और कुछ नकारात्मक भी। सकारात्मक पक्ष में देखें तो समाज तथा संवैधानिक अधिकारों के द्वारा परिवर्तन को स्वीकृति प्राप्त हो रही है। जैसे बाल विवाह पर रोक, विधवा पुनर्विवाह की स्वीकृति, शिक्षा के समान अधिकार, अस्पृश्यता निवारण आदि प्रमुख हैं तथा नकारात्मक पक्ष को देखें तो संयुक्त परिवार विखंडन, विवाह विच्छेदओं की संख्या में बढ़ोतरी, धर्म का व्यवसायीकरण, जाति का राजनीतिकरण आदि प्रमुख है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्रों द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी कंचन शिवम ने संतुष्टिपूर्ण उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति संरक्षक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया।
इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी0 सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ० ) एस० डी० सिंह परिहार , शोध निर्देशक डॉ० श्याम नारायण सिंह, समाज शास्त्र विभाग विभागाध्यक्ष डॉ० रुचि मूर्ति सिंह, प्रोफे०(डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० सोहराब अंसारी, डॉ० पंकज कुमार, डॉ० राकेश वर्मा,डॉ धर्मेंद्र, डॉ० दिनेश मौर्य, डॉ० सुशील सिंह, डॉ० प्रदीप रंजन, डॉ० मंजीत सिंह, डॉ० उमा निवास मिश्र, डॉ० रविशेखर सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० शिवशंकर यादव एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने सबका आभार व्यक्त किया।

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