सिध्देश्वर बाबू ने सिध्दांतों से नहीं किया समझौता

गाजीपुर । सिद्धेश्वर प्रसाद जनसेवा संस्थान, लंका के सभागार में बुधवार को सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की 43वीं पुण्यतिथि मनाई गई। डॉ .आनंद सिंह ने कहा कि सत् असत् विस्तार रूपी मंथन से निकले रत्न समूहों की तरह स्वर्गीय सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा नैतिकता सामाजिकता साहित्य- दर्शन के प्रति अभिरुचि संपन्नता से युक्त व्यक्तित्व थे।
मुख्य वक्ता श्रीकांत पांडे ने कहा कि सिध्देश्वर बाबू कुशाग्र मेधावी एवं तर्कशील व्यक्ति थे। सही व गलत के प्रति उनकी स्पष्ट सोच थी ।उनका मानना था कि समाज की सेहत के लिए शिक्षा का योगदान अमूल्य है। इसे अपने स्वभाव में रखते हुए उन्होंने शिक्षा के प्रचार- प्रसार का विशेष प्रयास किया था। वह अपने समय के रोल माडल थे। उन्होंने अपने सिद्धांतों एवं अंतरात्मा से कभी समझौता नहीं किया।
कवि दिनेश चंद शर्मा ने कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि
“वक्त गुलशन पर पड़ा तो लहूहमने दिया,
बहार आई तो कहते हो तेरा काम
नहीं “
मुख्य अतिथि रामनाथ ठाकुर ने कहा कि सिध्देश्वर बाबू सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति रहे। समाज में आज नैतिकता का अकाल पड़ गया है ऐसी स्थिति में सिद्धेश्वर बाबू की नैतिकता हमारे लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मोतीलाल प्रधान ने कहा कि सिद्धेश्वर बाबू सकारात्मक सोच के धनी थे। अपनी प्रतिभा एवं चरित्र के माध्यम से उन्होंने समाज को जो पथ दिखाया उस पथ पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर डॉ रणविजय सिंह, बिजेंदर राय ,ज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह ,संजय खरवार, चंद्र कुमार सिंह ,रघुवंश नारायण सिंह, कुणाल, शिवम, डॉक्टर दिनेश कुमार सिंह, श्री प्रकाश पाठक, विजय नारायण तिवारी, सुरेश राय, अखिलेश यादव, प्रेम शंकर राय, अरविंद ,अशोक राय, रामजी प्रसाद गुप्ता आदि उपस्थित थे । संचालन अखिलेश राय ने और आभार संस्था के संयोजक अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने ज्ञापित किया।

Check Also

राजस्व वसूली पर ध्यान दें अधिकारी

                              …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *