बगैर रासायनिक खाद के भी हो सकती है खेती


गाजीपुर। कृषि विभाग द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र पी०जी० कालेज के प्रांगण में कृषि सूचना तंत्र के सुदृढीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत जनपद स्तरीय एक दिवसीय किसान मेला आयोजित किया गया। जिसमें जिला कृषि अधिकारी मृत्युन्जय कुमार सिंह, अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा विनोद कुमार सिंह, वैज्ञानिक डा० धर्मेन्द्र कुमार सिंह, डा० ओमकार सिंह, डा० नागेन्द्र सिंह, जिला उद्यान अधिकारी शैलेन्द्र देव दूबे, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एस०के० रावत, प्रबन्धक जिला अग्रणी बैक शिवशंकर, डी०पी० पाण्डेय जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मेले में उर्वरक, बीज, रसायन, कृषि यन्त्रों, मृदा परीक्षण, फसल बीमा, पशु बीमा, यू०पी० डास्प (जैविक खेती) मत्स्य, दुग्ध, उद्यान विभाग, रेशम विभाग, अग्रणी जिला प्रबंधक यू०बी०आई०, महाजन कृषि केन्द्र आलमपट्टी, भारतीय स्टेट बैंक आफ इण्डियॉ एवं अन्य स्टाल लगाये गये । कृषि विज्ञान केन्द्र पी०जी० कालेज / आंकुशपुर के वैज्ञानिकों द्वारा रबी, खरीफ व जायद फसलो की नवीनतम तकनीकी जानकारी कृषको को दी गयी। मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह ने श्री अन्न के उत्पादन पर जोर दिया तथा बताया कि श्री अन्न में आवश्यक खनिज व पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो कुपोषण को दूर करता है, इसकी खेती बिना रासायनिक उर्वरक के भी सुगमता पूर्वक की जाती है। उन्होने श्री अन्न में बाजरा को सबसे पौष्टिक बताया। उनके द्वारा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के तरफ से उपस्थित महिलाओं के बच्चों को श्री अन्न प्रासन संस्कार मे पोषण आहार खिलाया गया एवं गोद भराई कर मेले में उपस्थित महिलाओं को सम्मानित भी किया गया । उप कृषि निदेशक ने बताया कि जनपद में लगभग 60 हजार किसानों का प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बैंक खाता में आधार लिंक व एन0पी0सी0आई0 न होने के कारण पात्र होते हुए भी लाभ से वंचित है। डाक घर में खाता खुलवाकर किसान आसानी से एन0पी0सी0आई० करा सकते है। इसी तरह लगभग 25 हजार किसानो का भूमि अंकन न होने से योजना के लाभ से वंचित हैं। भूमि अंकन के लिए समस्त विकास खण्ड के कृषि निवेश केन्द्र पर आधार कार्ड, बैंक पासबुक व खतौनी जमा कराया जा रहा है, जो किसान भूमि अंकन से वंचित है, समस्त अभिलेख कृषि निवेश पर जमा कर दे। उन्होने बताया कि जनपद मे रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग मानक से अधिक हो रहा है जिसका दुष्प्रभाव मृदा एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, जिसको कम कर जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया जाय । गंगा के किनारे के गाँव में यू०पी० डास्प द्वारा जैविक खेती कराई जा रही है। दूसरे किसान भी जैविक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर यह कार्य कर सकते है। जिला कृषि अधिकारी द्वारा जायद सीजन में बीज उपलब्धता, के0सी0सी0 एवं फसल बीमा के बारे में अवगत कराया गया तथा देशी प्रशिक्षण के प्रशिक्षणार्थी को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने पशुओं के बांझपन दूर करने के उपाय, कृत्रिम गर्भाधान के तरीके, बकरी पालन एवं निःशुल्क टीकाकरण की विस्तृत जानकारी दी। और अन्त मे उप कृषि निदेशक द्वारा कृषको को धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गयी।

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