सूफीज्म का किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं

गाजीपुर। जब यहां आने का निमंत्रण मिला तब मुझे लगा कि वाराणसी को तो सब लोग जानते हैं लेकिन गाजीपुर को वही लोग जानते हैं जो अदबी दुनिया जुड़े हुए हैं।जब इसके बारे में और विस्तार से जानकारी जुटाई तो पता चला इसकी तारिख में बड़े बड़े बड़े सूफी गुजरे हैं। बड़े बड़े शायर,उपन्यासकार भी यहां हुए हैं। तब खुद को यहां आने से रोक नहीं सकी। उक्त बातें पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए सूफी गायिका सुश्री खनक जोशी ने कहीं।
उन्होंने बताया कि सूफीज्म का किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है।इसका सीधा मतलब अपने रब,परवरदिगार, ईश्वर से जुड़ाव है।अक्सर लोग सूफीज्म को एक विशेष धर्म से जुड़ा हुआ मानते है,हालांकि यह सच नहीं है। हर धर्म में सूफीवाद की झलक मिलेगी।मीरा, कबीर, बाबा बुल्लेशाह, गुरुनानक,शाह अब्दुल लतीफ भिटाई इसके उदाहरण हैं।सूफीवाद का ताल्लुक़ शायरी से भी है।शायरी के माध्यम से सूफी संत अपनी बात जनमानस तक पहुंचाते रहे।सूफी संतों के संदेशों को और अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए मैंने इस क्षेत्र को चुना। इसके लिए देश के विभिन्न शहरों के साथ विदेशों में भी मेरे कार्यक्रम हुए हैं।
सुश्री जोशी ने बताया कि सूफीज्म को गहराई से समझने के लिए कई जबानों को सीखना पड़ा।इसमें उर्दू, फारसी, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी ,अरबी हैं।
शांति, सच्चाई, ईमानदारी, भाईचारा यही सूफीज्म का संदेश रहा है। आज के दौर में लोगों मुख्य कार्य धनार्जन हो गया है।ऐसे समय में सूफीवाद हमें आध्यात्म के साथ जोड़ता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।लोगों आत्मिक शांति मिले इसलिए ही मैंने सूफी गायकी को चुना है।

Check Also

राजस्व वसूली पर ध्यान दें अधिकारी

                              …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *