दीवारों पर टंगी हुई, नकली हरियाली है

गाजीपुर।’साहित्य चेतना समाज’ के तत्वावधान में
‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत
‘मित्रमण्डल’ जंगीपुर के संयोजकत्व में जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर, के प्रांगण में एक सरस काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया।अध्यक्षता रामप्रसाद गुप्त एवं संचालन सुपरिचित नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने किया। मंचीय औपचारिकताओं के पश्चात् आगंतुक कविगण एवं अतिथियों का विद्यालय के प्रधानाचार्य कन्हैयालाल गुप्त ने वाचिक स्वागत के साथ ही कवियों को माल्यार्पण एवं अंगवस्त्रम् के द्वारा अलंकृत किया।
गोष्ठी का शुभारंभ महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना “वस्त्राच्छादित गात श्वेत हिम सा अत्यंत आह्लादक/वीणा की झनकार चारु उर में गूँजे सदा सौख्यदा” से हुआ।तदुपरान्त साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने चेतना-प्रवाह कार्यक्रम के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
काव्यपाठ के क्रम में व्यंग्य विधा के युवा कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता “वो बड़ा आदमी जब भी मिलता है/कहता है कुछ काम हो तो बताना/पर न नम्बर बताता है/ना ठिकाना” प्रस्तुत कर प्रशंसित रहे। वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार विजय कुमार मधुरेश ने “निर्माण कार्य चालू है/पुलिया बना रहे बन्दर और भालू हैं/राम शायद ही उस पार जा सकें/क्यों कि एक बोरी सीमेंट में/पचास बोरी बालू है” सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी। युवा नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने सामाजिक विसंगतियों को केंद्र में रखते हुए अपना ‘शहर में आई है अम्मा’ शीर्षक नवगीत “निष्प्रभ हुआ आईना मन का/समय सवाली है/दीवारों पर टंगी हुई/नकली हरियाली है/
कैसे अपने सपन सँवारे/आँखों में आकाश उतारे/ बिन आंगन वाले इस घर में
आई है अम्मा” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए ताली बजाने के लिए विवश कर दिया। नगर के वरिष्ठ ग़ज़ल-गो नागेश मिश्र ने “ना मज़हब कोई/ना कोई कुनबा अपना/अमन की बात पे/अपना ईमान रखते हैं” इस शेर पर खूब वाहवाही लूटी। ख्यात शायर बादशाह राही ने अपनी ग़ज़ल “खून एक जैसा है सबका दुनिया में/फिर भी राम-रहीम तो कोई नन्दू है/सबसे पहले हम इंसान हैं ऐ राही/कोई मुस्लिम और न कोई हिन्दू है” सुनाकर श्रोताओं की खूब प्रशंसा अर्जित की।इसी क्रम में महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी, दिनेशचन्द्र शर्मा, अमरनाथ तिवारी अमर एवं गोपाल गौरव के काव्य-पाठ से श्रोता आनन्द-विभोर होकर बहुत देर तक अपनी करतल ध्वनि से पूरे परिसर को गुंजायमान करते रहे।
इस सरस काव्यगोष्ठी में श्रोता के रूप में प्रमुख रूप से शशांकशेखर पाण्डेय,चन्द्रभान गुप्ता,लाल जी गुप्ता,विजय शंकर राय,विरेन्द्र कुमार सिंह, सुरेश चन्द्र पाण्डेय, राजेश वर्मा, विद्युत प्रकाश आदि उपस्थित रहे। अन्त में अध्यक्षीय उद्बोधनोपरान्त संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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