जब-जब हिन्दू कटा,तब तब देश बंटा

विधर्मियों की चुनौती का सामना करते हुए भारत को विश्व गुरु जरूर बनाएंगे

विश्व हिंदू परिषद के 60 साल पूर्ण होने पर षष्टिपूर्ति कार्यक्रम का हुआ आयोजन

सैदपुर , गाज़ीपुर। विश्व हिंदू परिषद समूचे विश्व के हिंदुओं की रक्षा के लिए बना है। इतिहास गवाह है जब-जब हिंदू बंटा , तब तब देश कटा। रविवार को सैदपुर ( बासुपुर) स्थित राजन आईटीआई कॉलेज में विश्व हिंदू परिषद के 60 साल पूर्ण होने पर आयोजित षष्ठीपूर्ति कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद काशी प्रान्त के सह , प्रचार प्रमुख डॉक्टर लोकनाथ पांडेय ने उक्त बातें कही। डॉ. पांडेय ने विश्व हिन्दू परिषद के स्थापना की आधारभूत बिन्दुओं को बताते हुए कहा कि यह संगठन एक मात्र विश्व मे निवासरत् हिन्दु समाज के सुरक्षित संरक्षित व सवंर्धित करने के लिए अवतरित हुआ है। भगवान श्री कृष्ण के अवतार के कालखंड में देश की स्थिति और परिषद की स्थापना के समय देश की स्थिति में पर्याप्त साम्य था। 60 वर्ष की गौरवशाली यात्रा के कुछ अविस्मरणीय पड़ाव आए। संदीपनी साधनालय (पवई , मुंबई ) में 1964 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर
हिंदू परिषद की नींव रखी गई। जिसका उद्देश्य विश्व भर के हिंदुओं की दशा और दिशा के चिंतन , संवर्धन था। स्वामी चिन्मयानंद जी, संघ के द्वितीय सरसंचालक पूज्य श्री गुरु जी, श्री केएम मुंशी जी, मास्टर तारा सिंह जी, कुशक बकुला जी, सुशील मुनि जी द्वारा स्थापित विश्व हिंदू परिषद द्वारा प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ के अवसर पर प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन हुआ। इस अवसर पर हिंदू समाज ने वर्षों बाद अपने सभी मत पंथों के पूज्य धर्माचार्यों का दर्शन एक मंच पर किया।
यह सुयोग बन पाया पूज्य श्री गुरु जी की प्रेरणा और परिषद के प्रथम महामंत्री दादा साहब आप्टे के अनथक श्रम से । पूज्य संतों द्वारा उस सुअवसर पर दिए गए भाषण आज भी परिषद के कार्य की प्रेरणा बने हुए हैं। 1969 में उडुपी के हिंदू सम्मेलन मंच पर विराजमान पूज्य संतों के उद्घोषणा से बिखरे हुए हिंदू समाज में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और अस्पृश्यता के विरुद्ध हिंदू हम सब एक के भाव को पुष्ट किया। 1979 प्रयाग संगम तट पर द्वितीय विश्व हिंदू सम्मेलन संपन्न हुआ तब तक परिषद का विस्तार समुद्र पार तक पहुंच चुका था इस बार मंच की शोभा बढ़ाने के लिए संत चरण परम पावन पूज्य दलाई लामा जी का सानिध्य विश्व हिंदू परिषद को अलौकिक कर रहा था।
1981 में मीनाक्षीपुरम के दुर्भाग्यपूर्ण धर्मांतरण के बाद गिरीवासी/ वनवासी बंधुओं के बीच सेवा कार्यों की श्रृंखला खड़ी करने का संकल्प साथ ही साथ संस्कृति रक्षा, धर्म रक्षा निधि का समर्पण समाज से प्राप्त कर देशभर में सवा कार्य की श्रृंखला आरंभ कर दी गई। 1983 में गंगा आरती और भारत माता राथारूढ होकर एकात्मता यात्रा निकाली गई तब सभी भेद टूट गए।
1984 श्री अयोध्या जी में सरयू की पावन रेती पर 7 अक्टूबर को आरंभ हुआ रामलला की जन्म भूमि पर विदेशी आक्रमणकारी बाबर के नाम पर बना अवैध ढांचा ताले में बंद प्रभु राम जी के विग्रह को मुक्त कर भव्य राम मंदिर के निर्माण का सफर पूरा किया। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद अब तक लगभग 9.30 लाख बंधुओ और भगिनियों की घर वापसी करा चुका है। इतना ही नहीं लगभग 40 लाख लोगों को धर्मांतरण के चंगुल से बचाने का काम भी विश्व हिंदू परिषद द्वारा किया है। गौ वंश- रक्षण और संवर्धन में विश्व हिंदू परिषद द्वारा लगभग 88 लाख गायों को बचाया गया है । इन गायों को बचाने में कई बार गौरक्षकों का विधर्मियों से संघर्ष भी हुआ और गोवंश की रक्षा करते हुए कई देव तुल्य कार्यकर्ता बलिदान भी हुए। सन् 1995 से अब तक लगभग एक लाख 74 हजार हिंदू कन्याओं की रक्षा कर लव जिहाद रूपी विभीषिका से मुक्त कराया।
वर्तमान समय में दुनिया के 32 देशों में विश्व हिंदू परिषद की समिति है। केवल अमेरिका में 10 बड़े हिंदू सम्मेलन हुए। जिसमें 70,000 हिंदू एक स्थान पर जुटे। देश में कई विघटनकारी शक्तियां उभर रही हैं। हिंदुओं के खिलाफ लगातार षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। हमें इन चुनौतियों का न सिर्फ सामना करना है बल्कि अपने महापुरुषों के शौर्य, त्याग और पराक्रम को जागृत कर राष्ट्र विरोधी हिंदू विरोधी और मानवता विरोधी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देना है।
वह हम ही हैं जहां पर राष्ट्र के भविष्य की चिंता में एक पन्ना धाय मां भी अपने कलेजे के टुकड़े को मृत्यु की गोद में सुला देती है। यह सोचकर कि राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित रहना चाहिए।
वह हम ही हैं जो दुश्मन की ललकार पर अपने पुत्र को भी पीठ में बांधकर दुश्मनों से युद्ध लड़ने के लिए रानी लक्ष्मीबाई बनने का साहस रखते हैं।
वह हम ही हैं जब गुरु पुत्रों के रूप में कोई जोरावर सिंह, फतेह सिंह बनकर सरहिंद की दीवार में जिंदा चुना जाना स्वीकार किया लेकिन धर्म नहीं बदला।
वह हम ही है जब कोई नर पिशाची अलाउद्दीन खिलजी ,माता पद्मावती का मान भंग को लालायित होता है तो अपनी हजारों सखियों के साथ माता पद्मावती जौहर की ज्वाला प्रज्वलित कर पूरे 16 सिंगार करके आग की लपटों में स्वयं को न्योछावर कर देती हैंऔर अपनों के सतीत्व की रक्षा करती हैं। वह हमारे ही पुरखे है जो नितांत अभाव में जीवन यापन करने वाले संत रविदास जी जो तथाकथित रैदास बिरादरी के थे परंतु अपने धर्म की रक्षा के लिए, अपने वेद की रक्षा के लिए और आने वाली पीढियां को संदेश देने के लिए सिकंदर लोदी को संदेश कहा ।
वह हम ही हैं जब कोई मुगल आक्रांता अकबर भारत को जीतने का सपना लेकर आया था किंतु हिंदू धर्म ध्वजवाहक धर्म रक्षक महाराणा प्रताप के सामने न सिर्फ घुटने टेके अपितु कभी सामने से लड़ने का साहस भी ना कर सका।
वह हम ही हैं जब कोई औरंगजेब पूरी दुनिया को तलवार के दम पर शरियत के नीचे लाने की कोशिश कर रहा था तब कोई मराठा सरदार छत्रपति शिवाजी के रूप में हिंद स्वराज की स्थापना कर औरंगजेब के मुंह पर कालिख पोत दी।
वह हम ही हैं जो महाराजा सुहेलदेव के रूप में सालार मसूद की सेना को गाजर मूली की तरह काटकर उसके इस्लामी राष्ट्र के मंसूबे पर पानी फिरा दिया। माना कि चुनौतियां भीषण है, किंतु हमारा आत्म बल भी हिमालय पर्वत सा है। हमें पूर्ण विश्वास है हम अपने अनथक श्रम और ध्येय निष्ठा और अपने पुरखों के सौर्य व पराक्रम के दम पर जिन्होंने 800 वर्षों तक मुगलों के आतंक और क्रूरतम अत्याचार सहकर भी अपने धर्म, अपनी मान्यता, अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति, अपने संस्कार, अपने त्यौहार अपने मान बिंदु से कोई समझौता नहीं किया और आज भी हम उनके वंशज होने के नाते 100 करोड हिंदू जीवित है। हम फिर से भारत माता की पताका दिग-दिगंत तक फहराएंगे और पुनः विश्व गुरु के पद पर भारत माता को जरूर आरूढ़ करेंगे।
इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में विहिप के प्रांत (सह प्रचार) प्रमुख डॉ. लोकनाथ पांडेय मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोज कुमार पांडेय ने की। इस अवसर पर विहिप जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार मिश्रा, संगठन मंत्री नरेंद्र जी, नारायण जी, विजय प्रताप सिंह, किशन कुमार सतीश नवीन राजकुमार बिंद, आर निगम समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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