ताकि मैं आदमी बने रहने की पहचान को जिंदा रख सकूॅं”

गाजीपुर।’साहित्य चेतना समाज’ के तत्वावधान में
‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत समता पब्लिक स्कूल, कालूपुर के सभागार में एक सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कामेश्वर द्विवेदी एवं संचालन सुपरिचित नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया। आगंतुक कविगण का स्वागत माल्य,सुवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न के साथ ही वाचिक स्वागत विद्यालय के प्रबन्धक सुधीर कुमार सिंह ने किया। ‘साहित्य चेतना समाज’ के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने चेतना प्रवाह के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि – चेतना-प्रवाह का उद्देश्य जन-जन में सार्थक साहित्य के प्रति जागृति पैदा करना है।मंचीय कविताओं की वर्तमान दशा पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि – मंचीय कविताओं का यह चुटकुला-ग्रस्त दौर चल रहा है, इसके प्रति हमें सचेत रहते हुए सार्थक साहित्य के लिए सृजनरत रहना है।
गोष्ठी का शुभारंभ कवि एवं अतिथिगण के द्वारा माॅं वीणापाणि की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं दीप-प्रज्वलन के साथ ही डॉ.सन्तोष कुमार तिवारी की वाणी-वंदना से हुआ। इस काव्यायोजन के प्रथम कवि के रूप में युवा कवि चिदाकाश सिंह ‘मुखर’ ने “सुरक्षित नहीं हैं यहाॅं बेटियाॅं” सुनाकर श्रोताओं को तात्कालिक घटना पर सोचने के लिए विवश किया। समकालीन कविता के श्रेष्ठ युवा कवि डॉ. सन्तोष कुमार तिवारी ने ” मैं रोज़ देखता हूॅं एक सपना/विवेक की दृष्टि से/विचारों को नए ढंग से टटोलता हूॅं/ताकि मैं आदमी बने रहने की पहचान को जिंदा रख सकूॅं” सुनाकर खूब प्रशंसा पाई। कवयित्री सलोनी उपाध्याय ने “मैं शून्य, शिथिल संकेतों-सा/तुम स्वच्छ, सौम्य संवाद प्रिये” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी क्रम कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी भोजपुरी की सशक्त व्यंग्य-कविता “रहलन बड़ा नियरे अब दूर हो गइलन/सुनीलाॅं कि बापू अमीर हो गइलन” सुना कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। युवा नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने देश में बेटियों की वर्तमान दशा को केंद्र में रखते हुए अपना ‘सीता है बेटी’ शीर्षक नवगीत “अन्धा पौरुष अहंकार का आयत रचता है/ अब भी नारी में अबला की मूरत रचता है/ शिव का धनुष उठाने वाली सीता है बेटी ” सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए तालियाॅं बजाने के लिए विवश किया। संस्था के संस्थापक एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने चर्चित व्यंग्य-कविता ‘जाऊॅं विदेश तो किस देश’ की पंक्तियां “यहीं करूॅंगा राजनीति का करोबार/देश में अपने अच्छा चलेगा यह व्यापार” सुनाकर अतीव प्रशंसा अर्जित की। नगर के वरिष्ठ ग़ज़लगो कुमार नागेश मिश्र ने अपनी ग़ज़लों के उम्दा शेर प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी -“कुछ दिल के कुछ दुनिया के नज़ारे होते हैं/शेर सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं इशारे होते हैं “
इसी क्रम में हास्य-व्यंग्य के वरिष्ठ कवि विजय कुमार मधुरेश ने हास्य-रचनाओं से श्रोताओं को खूब हॅंसाया साथ ही अपना मुक्तक “बन के नेता नया गुल खिलाते रहे/ भाषणों से हमेशा रिझाते रहे/ये समस्या जहाॅं की तहाॅं रह गई/लोग आते रहे और जाते रहे” सुनाकर श्रोताओं की खूब प्रशंसा पाई।ओज के वरिष्ठ कवि दिनेश चंद्र शर्मा ने शहीदों को याद करते हुए अपनी कविता “लेगा जमाना खून के एक-एक बूंद का बदला/कातिल को कत्लेआम से थकने तो दीजिए”सुनाकर श्रोताओं में ओजत्व भर दिया।नगर के वरिष्ठ महाकाव्यकार एवं इस कविगोष्ठी के अध्यक्ष कामेश्वर द्विवेदी ने अपनी छान्दस कविता ‘देशगान’ “गंगा और जमुना-सी सरिताओं वाला देश/ पूरे इस जगत में पावन महान है/सागर पखारता है जिसका सतत पाॅंव/शीश पे किरीट जैसा दिव्य हिमवान है” सुना कर खूब प्रशंसा पायी।
इस सरस काव्यगोष्ठी में श्रोता के रूप में प्रमुख रूप से संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी, डॉ.ओमप्रकाश पाण्डेय, राघवेन्द्र ओझा, डॉ . राजेश सिंह, रामाशीष यादव, सुधीर पाण्डेय,निभा सिंह,रामबाबू शर्मा, पूर्व प्रधान दीपक सिंह, अभिषेक तिवारी,संजय सिंह यादव,अजय सिंह आदि उपस्थित रहे। अन्त में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने आगंतुक कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

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