पहली बार प्रेमचंद ने आम आदमी को रखा केंद्र में

गाजीपुर। ‘साहित्य चेतना समाज’ के तत्वावधान में,’चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर के सैयदबाड़ा स्थित वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासकार विश्वविमोहन शर्मा के आवास पर कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर विचार-गोष्ठी एवं कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया।अध्यक्षता वरिष्ठ कवि मार्कण्डेय सिंह एवं संचालन सुपरिचित नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने किया।आगंतुकों का स्वागत संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने किया। विचार-गोष्ठी में डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्यिक अवदान को रेखांकित करते हुए उनके कथा-साहित्य की आम जनजीवन में सहज स्वीकार्यता को दर्शाया। साथ ही कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक एवं सैद्धांतिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान समय में प्रेमचंद की प्रासंगिकता को सिद्ध किया और प्रेमचंद की कहानियों में तात्कालिक सामाजिक समस्याओं एवं उनके निदान को रेखांकित किया। डाॅ.सन्तोष कुमार तिवारी ने मुंशी प्रेमचंद के लेखन के विविध आयाम पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी साहित्य के वर्तमान विमर्शों के बरक्स उनके कथा साहित्य का आकलन करते हुए वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया साथ ही प्रेमचंद की पत्रकारिता और उसकी महत्ता को दर्शाते हुए प्रेमचंद के लेखन को दायित्वबोधी- प्रतिबद्ध लेखन कहा। इसी क्रम में माधव कृष्ण ने कहा कि हिंदी कहानी में आम आदमी को केन्द्र में रखने की शुरुआत प्रेमचंद ने की थी। प्रेमचंद से पूर्व तिलस्मी या ऐतिहसिक साहित्य का बोलबाला था। धार्मिक और हितोपदेश की कहानियां लिखी जा रही थीं जिनके स्त्रोत धार्मिक और पौराणिक साहित्य थे। देवकी नंदन खत्री उस समय के सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यकार थे। ऐसी रचनाओं में उस समय के समाज के बारे में सूचनाऍं कम मिलती हैं और वंचित, दुखी तथा शोषित समाज के बारे में तो जरा भी नहीं। पहली बार प्रेमचंद ने ही अपनी कहानियों में समाज को केन्द्र में रखा था। उसमें से भी हाशिए के आदमी को प्रमुखता दी।संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ने ‘साहित्य चेतना समाज’के अन्तर्गत आयोजित ‘चेतना-प्रवाह’के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए मुंशी प्रेमचंद के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विस्तृत परिचर्चा की एवं उन्हें जनपक्षधर कथाकार कहा।
दूसरे सत्र में कवियों ने अपनी गीत-कविताओं के द्वारा पूरे परिवेश को रसमय बना दिया। श्रोताओं की तालियों से रह-रह कर सभागार गुंजायमान होता रहा। कवियों में मार्कण्डेय सिंह,विश्वविमोहन शर्मा,गिरिजाशंकर पाण्डेय, कामेश्वर द्विवेदी, दिनेशचंद्र शर्मा, अमरनाथ तिवारी ‘अमर’,डाॅ.अक्षय पाण्डेय, डॉ.सन्तोष कुमार तिवारी, गोपाल गौरव, आशुतोष श्रीवास्तव,माधव कृष्ण आदि ने काव्यपाठ किया। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती एवं नवगीतकार डॉ.उमाशंकर तिवारी की जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम देर शाम तक चला।
इस अवसर पर सरजू यादव,राधे मोहन राय,अस्मित शर्मा,हरविन्दर यादव,वेद प्रकाश राय,राघवेन्द्र ओझा,संदीप शर्मा आदि प्रमुख रूप से श्रोता के रूप से उपस्थित थे। अन्त में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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