मजदूरों के हक और अधिकारों पर सीधा हमला

गाजीपुर। दवा प्रतिनिधियों के राज्य संगठन उत्तर प्रदेश एंड उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन यानी UPMSRA के तत्वावधान में आगामी 11 मार्च 2024 को प्रस्तावित लखनऊ चलो रैली के संबंध में इसके क्रियान्वयन और रूपरेखा तय करने के लिए ग़ाज़ीपुर इकाई में विशिष्ट आम सभा (स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग) का आयोजन ईकाई के अष्टभुजी कॉलोनी स्थित कार्यालय में हुआ।
बैठक को अटेंड करने प्रदेश संगठन UPMSRA के राज्य कार्यकारिणी सदस्य साथी मो अफ़ज़ल व राष्ट्रीय संगठन FMRAI के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य आर0एम0 राय उपस्थित हुए।
विशिष्ट आम सभा में अपनी बात रखते हुए काम. आर.एम. राय ने वर्तमान समय में दवा प्रतिनिधियों की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान केंद्र सरकार ने बड़े पूंजीपतियों को खुश करने व उनके दबाव में मज़दूरों के लिए मौजूदा 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 नए श्रम कोड ला रही है जिसमें मज़दूरों के हक़ व अधिकारों पर सीधा हमला है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार से अपनी पच्चीस सूत्रीय मांगों जिसमें SPE ACT 1976 को लागू करने, दवा प्रतिनिधियों के लिए कार्य की नियमावली तय करने, अस्पतालों में स्वतंत्र रूप से काम करने, दवाओं पर से GST टैक्स हटाने, डाटा प्राइवेसी को सुरक्षित करने, दवा प्रतिनिधियों पर सेल्स के नाम पर शोषण को खत्म करने, गैजेट्स के इस्तेमाल में ट्रैकिंग व सर्विलांस पर रोक लगाने, कार्यस्थल पर बिना रुकावट प्रवेश सुनिश्चित करने संबंधी मांगें हैं। कंपनियों द्वारा गैर कानूनी स्थानांतरण को रोकने उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वेतन 26000 करने दवा प्रतिनिधियों को ‘वर्कमैन’ का दर्जा, बोनस सुनिश्चित करने, उनके बीमा और सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने को लेकर पूरे प्रदेश से दवा प्रतिनिधि एक दिवसीय रैली करने जा रहे हैं।
उन्होंने 11 मार्च की लखनऊ रैली को सफल बनाने और एकजुटता के साथ रैली में शामिल होने का आवाहन सभी साथियों से किया।
उन्होंने यह भी बताया कि ड्रग एन्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1954 के तहत यह निर्देश भी दिया कि एक मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव ही अस्पतालों व डॉक्टरों को दवा की गुणवत्ता, प्रचार प्रसार कर सकता है दूसरा कोई नहीं भले ही कोई दवा कम्पनी का मैनेजर हो अथवा मालिक हो।
उन्होंने बताया कि सेल्स के नाम पर दवा प्रतिनिधियों पर दवा कंपनियों द्वारा लगातार वेतन रोकना, ट्रांसफर, सेवा बर्खास्तगी इत्यादि करती हैं जोकि पूरी तरह से ग़लत है। सेल्स एक संयुक्त ज़िम्मेदारी है केवल अकेले दवा प्रतिनिधि की नहीं, उन्होंने दवा प्रतिनिधियों को अपनी चेतना बढ़ाते हुए एकजुटता के साथ, भाईचारे के साथ काम करने पर ज़ोर दिया।
बैठक में ईकाई के एम.पी राय, शेखर राय, अरूण राय, अमृत राय, राजन यादव, सुधीर सिंह, सौरभ शर्मा, नागेंद्र त्रिपाठी, ए.के. जैन, मो. अफजल, अजय विक्रम सिंह, प्रमोद कुमार, अजित राय, मिसबाहुल, हरिशंकर गुप्ता, अनिल यादव, रईस आलम, मोहित गुप्ता, निकेत तिवारी, विनोद शर्मा, अविनाश त्रिपाठी, प्रकाश सिंह, निकेत तिवारी, राजेश राय, संजय विश्वकर्मा, , विकास वर्मा, निखिल श्रीवास्तव, आनंद जायसवाल, सद्दाम खान, शुभम चौरसिया, प्रिंस गुप्ता, अमित श्रीवास्तव आदि ने भागीदारी की।
अध्यक्षता चंदन कुमार राय व संचालन मयंक श्रीवास्तव ने किया।

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