30 नवंबर को हड़ताल, सरकार के श्रम कोड का विरोध

गाजीपुर। दवा प्रतिनिधियों के राष्ट्रीय संगठन फेडरेशन ऑफ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एशोसिएशन आफ इंडिया यानी FMRAI के तत्वावधान में 30 नवंबर को प्रस्तावित अखिल भारतीय हड़ताल के संबंध में इसके क्रियान्वयन और रूपरेखा तय करने के लिए इसके राज्य संगठन उत्तरप्रदेश उत्तराखंड मेडिकल एन्ड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स एसोसिएशन (UPMSRA) की ग़ाज़ीपुर इकाई में अपने प्रदेश कमेटी के आह्वान पर विशिष्ट आम सभा (स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग) का आयोजन मिश्रबाजार के पास स्थित राज मैरेज हॉल में मंगलवार को आयोजित हुई।
बैठक को अटेंड करने हमारे प्रदेश संगठन UPMSRA के राज्य कार्यकारिणी सदस्य साथी अफ़ज़ल व राष्ट्रीय संगठन FMRAI के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य साथी आर0एम0 राय उपस्थित हुए।
विशिष्ट आम सभा में अपनी बात रखते हुए साथी मो0 अफ़ज़ल ने वर्तमान समय में दवा प्रतिनिधियों की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान केंद्र सरकार ने बड़े पूंजीपतियों को खुश करने व उनके दबाव में मज़दूरों के लिए मौजूदा 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 नए श्रम कोड ला रही है जिसमें मज़दूरों के हक़ व अधिकारों पर सीधा हमला है।
उन्होंने बताया कि अपनी आठ सूत्रीय मांगों (जिनमें 05 मांगें केंद्र सरकार से व 03 मांगें अपनी कम्पनियों के मालिकान से हैं) जिसमें SPE ACT 1976 को लागू करने, दवा प्रतिनिधियों के लिए कार्य की नियमावली तय करने, अस्पतालों में स्वतंत्र रूप से काम करने, दवाओं पर से GST टैक्स हटाने, डाटा प्राइवेसी को सुरक्षित करने, दवा प्रतिनिधियों पर सेल्स के नाम पर शोषण को खत्म करने, गैजेट्स के इस्तेमाल में ट्रैकिंग व सर्विलांस पर रोक लगाने, कार्यस्थल पर बिना रुकावट प्रवेश सुनिश्चित करने संबंधी मांगें हैं) को लेकर पूरे देश के दवा प्रतिनिधि एक दिवसीय (24 घण्टे की) हड़ताल पर जा रहे हैं।
उन्होंने 30 नवम्बर की हड़ताल को सफल बनाने और एकजुटता के साथ आंदोलन में शामिल होने का आवाहन सभी साथियों से किया।
बैठक को संबोधित करते हुए FMRAI के कार्यसमिति सदस्य साथी आर0एम0 राय ने बताया कि नए वेतन सम्बन्धी कोड में सरकार ने दवा प्रतिनिधियों को बाहर कर दिया और दवा प्रतिनिधियों के लिए संसद में प्राप्त एकमात्र कानून SPE ACT को भी उद्योग सम्बन्धी कोड के तहत खत्म कर दिया है।
उन्होंने दवा प्रतिनिधियों की वैधानिक पहचान व उनके नामकरण पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत की उच्चतम न्यायालय की 5 सदस्यीय पीठ द्वारा सन 1992 में हमारा नाम “मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्” दिया गया। ड्रग एन्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1954 के तहत यह निर्देश भी दिया कि एक मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव ही अस्पतालों व डॉक्टरों को दवा की गुणवत्ता, प्रचार प्रसार कर सकता है दूसरा कोई नहीं भले ही कोई दवा कम्पनी का मैनेजर हो अथवा मालिक हो।
उन्होंने बताया कि सेल्स के नाम पर दवा प्रतिनिधियों पर दवा कंपनियों द्वारा लगातार वेतन रोकना, ट्रांसफर, सेवा बर्खास्तगी इत्यादि करती हैं जोकि पूरी तरह से ग़लत है, सेल्स एक संयुक्त ज़िम्मेदारी है केवल अकेले दवा प्रतिनिधि की नहीं, उन्होंने दवा प्रतिनिधियों को अपनी चेतना बढ़ाते हुए एकजुटता के साथ, भाईचारे के साथ काम करने पर ज़ोर दिया।
जिलामंत्री साथी मयंक श्रीवास्तव ने बताया कि आज विश्व ट्रेड यूनियन महासंघ (WFTU) का स्थापना दिवस भी है जोकि विश्व स्तर पर मज़दूरों का संगठन है जिसमें हमारा राष्ट्रीय यूनियन CITU भी एक घटक है, इस स्थापना दिवस पर हम विश्व के सभी मज़दूर भाइयों संग एकजुटता का इज़हार करते हैं और शोषण मुक्त समाज की स्थापना का संकल्प लेते हैं।बैठक में इकाई के साथी एम.पी सिंह, हिम्मत राय, हरिशंकर गुप्ता, आशिष राय, रविकांत तिवारी, बि.के. श्रीवास्तव, अनिल यादव, शिवम गुप्ता, सौरभ राय, रईस आलम, मोहित गुप्ता, निकेत तिवारी, आशीष राय, विनोद शर्मा, दिग्विजय यादव, विशाल जायसवाल, सौरभ राय, धीरज राय, अविनाश त्रिपाठी, प्रकाश सिंह, निकेत तिवारी, अमरनाथ, दिग्विजय शर्मा, राजेश तिवारी, संजय विश्वकर्मा, राजेश श्रीवास्तव, विकास मिश्रा, प्रशांत पांडे, निशांत श्रीवास्तव, अम्बिकेश शुक्ला, सद्दाम खान, शुभम, सलीम खान, अनवर अली, संजय कुशवाहा, कृष्णा शर्मा, आनंद राय, विनीत श्रीवास्तव, सूरज विश्वकर्मा, मेघनाथ, अभिनय राय, मनोहर यादव, प्रिंस गुप्ता, अमित श्रीवास्तव, निशांत श्रीवास्तव, एम0पी राय,समेत सैकड़ो साथियों ने भागीदारी की।
अध्यक्षता साथी चंदन कुमार राय व संचालन मयंक श्रीवास्तव व विकास वर्मा ने संयुक्त रूप से किया।

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