हिंद महासागर है भारत की जीवन रेखा


गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। संगोष्ठी में कला संकाय के सैन्य विज्ञान विषय के शोधार्थी राकेश कुमार ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक “हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती सामरिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाएं एवं भारतीय सुरक्षा आयाम” विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिन्द महासागर भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंद महासागर का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है और विश्व की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या इसके तटवर्ती देशों में निवास करती है। हिन्द महासागर के तटवर्ती देशों में जो सबसे ताकतवर राष्ट्र है वो भारत है। अतः हिन्द महासागर क्षेत्र के सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के कंधों पर है। हिन्द महासागर में विभिन्न प्रकार के रत्न व खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए इसे हमारे पूर्वजों द्वारा रत्नाकर कहा गया है। यह सदियों से भारत के लिए एक जीवन्त सहयोगी एवं सुरक्षात्मक अवस्थिति का स्वरूप स्थापित करता है। कहा जाय तो हिन्द महासागर भारत की जीवन रेखा है। आज हिंद महासागर में उपस्थित संसाधनों की सुरक्षा और उनके उपयोग की रणनीतियों की नितांत आवश्यकता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत विश्व की बदलती सुरक्षा अवधारणा में हिन्द महासागर एक केंद्रीय भूमिका में है और चीन की इस पर गहरी नजर है। चीन के चंगुल से हिन्द महासागर को हर प्रकार से मुक्त रखना अनिवार्य है, और इस कार्य को भारत बखूबी कर सकता है। इस बात को विश्व की महाशक्तियां भी अब जान चुकी है तथा जी 20 के माध्यम से वो भारत के साथ खड़ी हुई नजर आती हैं। इस शोध कार्य से भारत की सामुद्रिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए निश्चित ही एक नए प्रतिमान स्थापित होगें और इससे विश्व में भारत को एक नया नजरिया प्राप्त होगी। आज भारत की तरफ विश्व की महाशक्तियां एक आशा भरी निगाहों से देख रहीं हैं। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी राकेश कुमार ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति के चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफे० (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक व रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्य्यन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० बद्रीनाथ सिंह,अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सदस्य प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० राम दुलारे, डॉ० हरेन्द्र सिंह, डॉ०रुचिमुर्ति सिंह, डॉ. योगेश कुमार, डॉ० अखिलेश सिंह, डॉ० मनोज कुमार मिश्र, डॉ० अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत मे शोध निर्देशक डॉ० बद्रीनाथ सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया, संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने किया।

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