अफजाल की जीत और नुसरत-नूरिया

गाजीपुर। लोकसभा चुनाव में हर घेराबंदी को ध्वस्त कर अफजाल अंसारी ने शानदार जीत हासिल कर लिया। इस जीत के अनेक विश्लेषण होंगे। भविष्य के राजनीतिक द्वार भी खुलेंगे। गाजीपुर संसदीय क्षेत्र में नेताओं के साथ उनके उत्तराधिकारियों का भी राजनीतिक संघर्ष था। चुनाव में एक तरफ अफजाल अंसारी और उनकी पुत्रियां नुसरत व नूरिया थीं तो दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा तथा भाजपा उम्मीदवार पारसनाथ राय के पुत्र आशुतोष राय।
नुसरत-नूरिया की जोड़ी और अभिनव -आशुतोष को प्रचार अभियान में सपा भाजपा ने न केवल पर्याप्त महत्व दिया बल्कि जनता से भी ठीक से कनेक्ट किया। सपा की महिला नेत्रियों के साथ नुसरत- नूरिया ने दिन रात एक कर दिया। पहली बार अंसारी परिवार की महिलाएं राजनीतिक मैदान में उतरीं। गांव-गांव गली गली की धूल फांकीं। तकनीकी रुप से अफजाल अंसारी ने नुसरत को सपा के वैकल्पिक उम्मीदवार और निर्दल नामांकन भी कराया। समाजवादी पार्टी की जनपदीय बैठक में राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करते हुए नुसरत को कार्यकर्ताओं नेताओं से रुबरु कराया। सपा के वैकल्पिक उम्मीदवार के रुप में तो नुसरत का नामांकन खारिज हो गया लेकिन निर्दल उम्मीदवार के रुप में वह छड़ी चुनाव चिन्ह लेकर डटीं रहीं और अपने अब्बा का प्रचार करतीं रहीं। पूरे चुनावी अभियान में उनका राजनीतिक प्रशिक्षण चलता रहा। अफजाल अंसारी की बड़ी जीत में नुसरत अंसारी की भी बड़ी भूमिका देखी जा रही है। नुसरत और नूरिया की जोड़ी ने इस चुनाव में कमाल कर दिया और कमल को खिलने से रोक दिया। महिलाओं के बीच सपा कांग्रेस का संदेश,मुद्दे पहुंचाने में दोनों न केवल कामयाब रहीं बल्कि खुद को भी उनसे जोड़ा भी।


दूसरी तरफ मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा। वह गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट के दावेदार भी थे। अंतिम समय में टिकट पारसनाथ राय को मिल गया।भाजपा के रणनीतिकारों ने मनोज सिन्हा की चुनाव में अनुपस्थिति में उनके पुत्र और राजनीतिक उत्तराधिकारी अभिनव सिन्हा का जमकर इस्तेमाल किया। न केवल गाजीपुर बल्कि बलिया संसदीय क्षेत्र में भी वह प्रचार के लिए गए। गाजीपुर क्षेत्र में तो सैकड़ों जनसभाओं में शामिल हुए और संबोधित भी किया। यहां तक कि गाजीपुर में जब केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के रोड शो में उनके वाहन पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, उम्मीदवार पारसनाथ राय और अभिनव सिन्हा ही सवार होकर जनता का अभिवादन कर रहे थे। इससे भाजपा द्वारा उन्हें दिए गए महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन अभिनव सिन्हा बलिया के साथ गाजीपुर में भी भाजपा उम्मीदवारों को कामयाबी दिलाने में नाकाम रहे।
भाजपा उम्मीदवार पारसनाथ राय के पुत्र और भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष राय ने भी चुनावी अभियान में पूरी ताकत लगाई लेकिन पिता को जीत दिलाने में नाकामयाब रहे।

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